क्यों हो रहा ये दर्द, क्यों रो रहा ये दिल
पिघल-पिघल, उमड़-उमड़
सिसक-सिसक, तड़प-तड़प
क्यों कह रहा ये मन
वो थी नहीं मेरी, वो है नहीं मेरी
फ़िर क्यों हो रहा ये दर्द, क्यों रो रहा ये दिल
आंखें कह रही तु रो
सकल हो रहा धुआं
बहक रही है ये नज़र
कदम डगमगा सा रहा
बदल गई सी है जमीं
थम गया सा है बदन
सांसें चल रही मगर
क्यों मर गया सा हुँ
वो थी नहीं मेरी, वो है नहीं मेरी
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