कुछ होता ना ये प्यार-व्यार, कहते हैं कुछ लोग
जब होता है ये दिल से, लगता है जैसे रोग
समझ न पाया कोई इसको, अनपढ़ हो या ज्ञानी
प्यार हुआ हो उससे पूछो, या हो कोई अंजानी
कोई कहता खुशी है देता, कोई गम का सागर कहता
कोई चाहता प्यार ना हो, कोई इसमे डूबना चाहता
अंधियाले और उजियाले का, कैसा है ये मिश्रण
हॅसने में भी रोना होता, रोने में भी हँसना
सोचूँ जो तो मन विचलित हो, हो भाव खुशी और गम दोनो के
लिखुँगा क्या मैं प्यार की बातें, संसार पड़ा हो भँवर में जिसके
कुछ होता ना ये प्यार-व्यार, कहते हैं कुछ लोग
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