है कुछ तो उससे – Hai Kuch To Usse

Hai Kuch To Usse

है कुछ तो उससे,
यूं ना मुस्कुराने से उसके,
मायूसी में भी मुस्कुराता मैं

कभी नजरें मिले तो,
एक पल देखने से उसके,
आँखों में खो ना जाता मैं
है कुछ तो उससे

है कुछ तो उससे
है कुछ तो उससे

भोली-सुंदर,
अदाएं नटखट सी उसकी,
दिखायी ना दे तो,
देखना यूं न चाहता मैं

लगती सीधी साधी सी,
पर है कुछ तो उससे
वर्ना किसी अंजान के लिए,
यूं ना लिखता मैं

हाँ है कुछ तो उससे

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