दुःख में हर शाम – Dukh Mai Har Shaam

Dukh Mai Har Shaam

दुःख में हर शाम, खींच ले जिन्हें ।
चाहिए भरोसा, एक पल का बस उन्हें ॥

तोड़कर मन, जो खुद से रूठ पड़े ।
लगाकर गले, खुशियों से भर दो उन्हें ॥

दुःख में हर शाम
दुःख में हर शाम

यादें यादकर, हर रात जिनके दिल जले ।
आश्रा बनकर, एक आंस बना लो तुम उन्हें ॥

मायूश चेहरे, वो आँख दर्द से भरे ।
पकड़कर हाथ, नींद से जगा दो उन्हें ॥

पत्थरों से टकराकर, जो लड़खड़ाकर गिर पड़े ।
उम्मीद जगाकर, अपनी ज़िन्दगी बना लो तुम उन्हें ॥

चाहिए भरोसा, एक पल का बस उन्हें ॥ 

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